दुनिया के मुसलमानों की पवित्र पुस्तक कुरान को इस विश्व धर्म के स्तंभों में से एक के रूप में जाना जाता है।
पैगंबर मुहम्मद (PBUH) की पैगंबरी की शुरुआत में आप के द्वारा वहि की आयतों को सुनाने के बाद, कुछ लोग उन्हें याद कर लिया करते थे। हालाँकि, कुरान लिखने की आवश्यकता ने क्योंकि व्यक्तियों की याद में आयतों को याद रखना कुरान के संरक्षण के बारे में आश्वासन नहीं दे सकता है, इस्लाम के पैगंबर (PBUH) को विश्वसनीय लोगों का चयन करने के लिए प्रेरित किया जो लिखना जानते थे ता कि ध्यान से आयतों को लिखने व रिकॉर्ड करने की कार्रवाई करें।
जब भी कोई आयत नाज़िल हुई और इस्लाम के पैगंबर (PBUH) ने उसे अपने साथियों को सुनाया, तो जो लोग लिखने में सक्षम थे, उन्होंने कुरान की आयतें लिखीं। इस समूह को "कुत्ताबे वहि,यानि वहि लिखने वाले" कहा जाता था।
इस्लाम के पैगंबर (PBUH) के निधन के बाद और उस्मान की ख़िलाफ़त के दौरान, उन्होंने कुरान की विभिन्न प्रतियों के संग्रह का आदेश दिया और इस्लाम के पैगंबर के कुछ विशेष साथियों की राय और विवेक के साथ, पुस्तक कुरान एक एकल और संहिताबद्ध की सूरत में हो गया।
कुरान की पुरातनता के बारे में जो अब दुनिया के मुसलमानों के पास में है असहमति है हालाँकि, कुरान के ये प्राचीन संस्करण अपनी तरह के सबसे पुराने हैं और जो संग्रहालयों और निजी संग्रहों की ज़ीनत हैं। सबसे पुरानी वेबसाइट आज मुसलमानों के लिए उपलब्ध 7 सबसे पुराने कुरानों पर नज़र रखती है। इन सात मौरिद को दिनांक के क्रम में, नवीनतम से सबसे पुराने तक सूचीबद्ध किया गया है।
7- नीला कुरान
इस कुरान के लेखन का वर्ष 9वीं शताब्दी के अंत से 10वीं शताब्दी ईस्वी के प्रारंभ तक का अनुमान है। यह कुरान कूफ़िक लिपि में लिखा गया था और इस संस्करण के अधिकांश पृष्ठ ट्यूनिस, ट्यूनीशिया में बार्डो राष्ट्रीय संग्रहालय के राष्ट्रीय कला और पुरातत्व संस्थान में हैं। इस क़ुरान के पन्ने सुनहरे स्याही से लिखे गए हैं और इसे एक विशिष्ट नीला रंग देते हैं।
6- कुरान कूफ़ी समरकंद
पिछले कुछ दशकों में शोध से पहले, समरकंद के कोफी कुरान को कुरान का सबसे पुराना जीवित संस्करण माना जाता था। अधिकांश विद्वान इस बात से सहमत हैं कि यह कुरान शायद 8वीं या 9वीं शताब्दी में लिखा गया था। यह कुरान कूफ़िक लिपि में लिखा गया था और वर्तमान में उज्बेकिस्तान के समरकंद में आठवे इमाम के संग्रहालय में है।
5- तूपक़ापी पांडुलिपि
तूपक़ापी पांडुलिपि आठवीं शताब्दी की शुरुआत से मध्य तक की है और कुरान का लगभग पूरा पाठ है। यह कूफ़िक लिपि में लिखा गया है और संभवत: अस्तित्व में सबसे पुराना लगभग पूर्ण कुरान है। यह कुरान वर्तमान में इस्तांबुल, तुर्की में तूपक़ापी पैलेस संग्रहालय में रखा गया है।
4- कोडेक्स पेरिस-मेट्रोपॉलिटन
कोडेक्स पेरिसिनो-पेट्रोपोलिटनस 98-पृष्ठ की पांडुलिपि है जो 7वीं सदी के अंत या 8वीं शताब्दी की शुरुआत में है। कई कुरान के टुकड़ों वाली यह पांडुलिपि मिस्र के फुस्तात में अम्र मस्जिद में मिली थी। इस कुरान के 70 पृष्ठ पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रीय पुस्तकालय में, रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में रूस के राष्ट्रीय पुस्तकालय में 26 पृष्ठ, वेटिकन पुस्तकालय में 1 पृष्ठ और लंदन में नासिर ख़लीली नामक ईरानी-ब्रिटिश कलेक्टर के संग्रह में 1 पृष्ठ है। यह कुरान हिजाज़ी लिपि में लिखा गया है।
3- सना पांडुलिपि
सना पांडुलिपि को कुरान का सबसे पुराना टुकड़ा माना जाता है। यह संस्करण पहली बार 1972 में यमन में साना ग्रैंड मस्जिद के पुनर्निर्माण के दौरान खोजा गया था।
रेडियोकार्बन प्रयोगों से पता चला कि कुरान 632-671 ईस्वी पूर्व का है। यह कुरान हिजाज़ी लिपि में लिखा गया है।
2- ट्यूबिंगन टुकड़ा
युनिवर्सिटी ऑफ़ टुबिंगन, जर्मनी का यह क़ुरान पेज 649 ईस्वी से 675 ईस्वी के बीच के काल का है। इसका मतलब यह है कि पांडुलिपि इस्लाम के पैगंबर (PBUH) की मृत्यु के लगभग 20-40 साल बाद लिखी गई थी।
इस संस्करण के कुछ हिस्सों का विश्लेषण ज़्यूरिख में एक प्रयोगशाला में आधुनिक C14 रेडियोकार्बन का उपयोग करके किया गया था, जिसमें सटीकता की 95.4% संभावना थी। यह संस्करण 19वीं शताब्दी में विश्वविद्यालय में लाया गया था, जब दमिश्क में पहले प्रशियाई कौंसल जोहान गॉटफ्रिड वेट्ज़स्टीन ने कई प्राचीन अरबी पांडुलिपियां प्राप्त की थीं। यह कुरान हिजाज़ी लिपि में लिखा गया है।
1- बर्मिंघम कुरान की पांडुलिपि
बर्मिंघम कुरान की पांडुलिपि को वर्तमान में दुनिया का सबसे पुराना कुरान माना जाता है। इस पांडुलिपि में छाल के दो पत्ते हैं, जो मूल कुरान की पांडुलिपि का एक टुकड़ा है, जो 568 से 645 ईस्वी तक का है। यूनाइटेड किंगडम में बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस संस्करण की तारीख को 95.4% सटीकता के साथ निर्धारित किया।
इसका मतलब है कि यह प्रति पैगंबर मुहम्मद (pbuh) की मृत्यु के तुरंत बाद लिखी गई होगी क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वह 570 ईस्वी और 632 ईस्वी के बीच रहे थे। इस पांडुलिपि में कुरान के कुछ अध्यायों का पाठ है और यह हेजाज़ी अरबी लिपि में लिखा गया है।
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